वक़à¥à¤¤ का पता नहीं चलता अपनों के साथ..... पर अपनों का पता चलता है, वक़à¥à¤¤ के...
कोई सोना चढाठ, कोई चाà¤à¤¦à¥€ चढाठ; कोई हीरा चढाठ, कोई मोती चढाठ; चढाऊà¤...
ज़िनà¥à¤¦à¤—ी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मà¥à¤Ÿà¥à¤ ी से फिसलती है... शिकवे कितने à¤à¥€...
Question→ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ कà¥à¤¯à¤¾ है ? Answer→ जीवन का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ उसी चेतना को...
घनशà¥à¤¯à¤¾à¤®à¤¦à¤¾à¤¸ जी बिड़ला का अपने पà¥à¤¤à¥à¤° बसंत कà¥à¤®à¤¾à¤° जी बिड़ला के नाम 1934 में लिखित...