By Rohit J on Feb 28, 2016, 12:00 AM

कोई सोना चढाए , कोई चाँदी चढाए ;
कोई हीरा चढाए , कोई मोती चढाए ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं फूल चढाता हूँ , तो वो भँवरे का जूठा है ;
अगर मैं फल चढाता हूँ , तो वो पक्षी का जूठा है ;
अगर मैं जल चढाता हूँ , तो वो मछली का जूठा है ;
अगर मैं दूध चढाता हूँ , तो वो बछडे का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन ; कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं सोना चढ़ाता हूँ , तो वो माटी का जूठा है ;
अगर मैं हीरा चढ़ाता हूँ , तो वो कोयले का जूठा है ;
अगर मैं मोती चढाता हूँ , तो वो सीपो का जूठा है ;
अगर मैं चंदन चढाता हूँ , तो वो सर्पो का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन, कि ये निर्धन का डेरा है ;

अगर मैं तन चढाता हूँ , तो वो पत्नी का जूठा है ;
अगर मैं मन चढाता हूँ , तो वो ममता का जूठा है ;
अगर मैं धन चढाता हूँ , तो वो पापो का जूठा है ;
अगर मैं धर्म चढाता हूँ , तो वो कर्मों का जूठा है ;

चढाऊँ क्या तुझे भगवन , कि ये निर्धन का डेरा है ;

तुझे परमात्मा जानू , तू ही तो है - मेरा दर्पण ;
तुझे मैं आत्मा जानू , करूँ मैं आत्मा अर्पण.

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