रामायण में दो à¤à¤¸à¥‡ वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ थे...
à¤à¤• विà¤à¥€à¤·à¤£ और à¤à¤• कैकेयी...
विà¤à¥€à¤·à¤£ रावण के राज में रहता था
फिर à¤à¥€ नहीं बिगङा...
कैकेयी राम के राज में रहती थी
फिर à¤à¥€ नहीं सà¥à¤§à¤°à¥€..!!
तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯...
सà¥à¤§à¤°à¤¨à¤¾ à¤à¤µà¤‚ बिगङना केवल मनà¥à¤·à¥à¤¯ के सोच और सà¥à¤µà¤à¤¾à¤µ पर निरà¥à¤à¤° होता है
माहौल पर नहीं..
: रावण सीता को समà¤à¤¾ समà¤à¤¾ कर हार गया था पर
सीता ने रावण की तरफ à¤à¤•
बार देखा तक नहीं..!
तब मंदोदरी ने उपाय बताया कि तà¥à¤® राम बन के सीता के
पास जाओ वो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ जरूर देखेगी..!
रावण ने कहा - मैं à¤à¤¸à¤¾ कई बार कर चà¥à¤•à¤¾ हूà¤..!
मंदोदरी - तब कà¥à¤¯à¤¾ सीता ने आपकी ओर देखा..?
रावण - मैं खà¥à¤¦ सीता को नहीं देख सका..!
कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि मैं जब- जब राम बनता हूà¤,
मà¥à¤à¥‡ परायी नारी अपनी माता और
अपनी पà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ सी दिखती है..!
.
अपने अंदर राम को ढूंढें,
और उनके चरितà¥à¤° पर चलिà¤..!
आपसे à¤à¥‚लकर à¤à¥€ à¤à¥‚ल नहीं होगी..!
॥ जय शà¥à¤°à¥€ राम ॥
मंदिर के बाहर लिखा हà¥à¤† à¤à¤• खà¥à¤¬à¤¸à¥à¤°à¤¤ सच......
"अगर उपवास करके à¤à¤—वान खà¥à¤¶ होते,
तो इस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ में बहà¥à¤¤ दिनों तक खाली पेट
रहनेवाला à¤à¤¿à¤–ारी सबसे सà¥à¤–ी इनà¥à¤¸à¤¾à¤¨ होता..
उपवास अनà¥à¤¨ का नहीं विचारों का करें....
इंसान खà¥à¤¦ की नजर में सही होना चाहिà¤, दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾à¤ तो à¤à¤—वान से à¤à¥€ दà¥à¤–ी हैं।
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